1 .पुत्रीयो - बांग्लादेश हिंसा और कोलकाता की डॉक्टरनी और उदयपुर के नर इंसानों का चाकू बाजी और हिंदू मंदिरों पर हमला के सभी विरोध में नक्सली और सर्व आदिवासी बंद कितने अगस्त 2024 को चिल्लाओगी ? 22 ....
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22 अगस्त को नक्सली बंद के समर्थन में जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम एवं आदिवासी महिला प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश्वरी नेताम ने मैनपुर बैठक में जताईं सहमति

- शेख हसन खान, गरियाबंद
- एसटी/एससी संयुक्त मोर्चा की बैठक में बड़ी संख्या में शामिल हुए क्षेत्र के लोग
गरियाबंद । 22 अगस्त 2024 को नक्सली बंद का पूर्ण समर्थन करने तहसील मुख्यालय मैनपुर लोक निर्माण विभाग विश्राम गृह में आज शनिवार को एसटी/एससी संयुक्त मोर्चा की बैठक आयोजित किया गया बैठक में सैकड़ों की संख्या में क्षेत्र के लोग शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत गरियाबंद के उपाध्यक्ष संजय नेताम एंव आदिवासी महिला प्रभाग के प्रदेश अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सभापति श्रीमती लोकेश्वरी नेताम विशेष रूप से उपस्थित थे। इस दौरान बैठक को संबोधित करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने कहा कि लगातार एसटी/एससी के आरक्षण में कटौती किया जा रहा है और हमारे अधिकारों का हनन किया जा रहा है। 22 अगस्त को नक्सली बंद के समर्थन में मैनपुर क्षेत्र के लोग भी सड़क में उतरेंगे जिसके लिए यह बैठक आयोजित किया गया है। श्री नेताम ने कहा कि गांव गांव जाकर इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए बैठक लिया जा रहा है और 20 अगस्त को मैनपुर में सभी व्यापारी बंधुओं से बंद को सफल बनाने समर्थन मांगेंगे क्योंकि इस दिन नक्सली बंद के साथ वाहनों की आवाजाही भी बंद रहेगी।
आदिवासी महिला प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सभापति श्रीमती लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की बदौलत जो अधिकार आज एसटी/एएसी को मिला है इन अधिकारों को रौंदने का प्रयास किया जा रहा है। आज इस देश के मूल निवासी को परेशान किया जा रहा है, जिसके खिलाफ यह आंदोलन किया जा रहा है। यह आंदोलन गैर राजनीतिक आंदोलन है, जिसमें सभी लोग शामिल होंगे। श्री नेताम ने कहा कि क्षेत्र के सभी लोगों एवं सभी व्यापारी भाई हमारे आंदोलन को सहयोग करेंगे इसके लिए हम घर घर जाकर अपील करेंगे यह लडाई हमारे हक और अधिकार की लडाई है हमारे आने वाले भविष्य की लड़ाई है।
आदिवासी नेता महेन्द्र नेताम, तुलसी नागेश, भोला जगत ने भी बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सभी स्कूल, कॉलेज के छात्र छात्राए किसान मजदूर, आम जनता अधिकारी, कर्मचारी सभी समाज प्रमुख हमारे इस आरक्षण बचाओ आंदोलन में अपना सहयोग करेंगे, सभी से समर्थन मांग रहे है।
बैठक में प्रमुख रूप से आदिवासी नेता महेन्द्र नेताम, पूर्व सरपंच ईश्वर नागेश, कमार समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनसिंह सोरी, भोला जगत, हेमंत कुमार नेताम, तुलसीराम नागेश, भानुप्रताप सिन्हा, गुंजेश कपील, पवन जगत, गजेन्द्र नेेगी, भजन सिंह, देवकी तिरधारी, देवेन्द्र पटेल, जितेन्द्र कश्यप, योगेश नेगी, देवकुमार, प्रदीप ध्रुव, बिससेर सिक्का, बालाराम टांडिया, दुलेन्द्र नेगी, पार्वती बघेल, अमित कुमार रामटेके, रामलाल, जुगनुराम सहित बडी संख्या में क्षेत्र के लोग उपस्थित थे।
Tags: District Panchayat Vice President Sanjay Netam and State President of Tribal Women's Cell Lokeshwari Netam expressed their consent in the Mainpur meeting in support of Bh पि वंचितों के लिए न्याय के एजेंडे पर हो नक्सली बंद
एक अगस्त को आए कोर्ट के फैसले बाद उपवर्गीकरण में लाभ देख रहे समूहों में आरक्षण के कथित हकमारों के प्रति जो शत्रुता का भाव पनपा है, वह प्रायः स्थाई हो गया है। इसलिए कोर्ट का फैसला पलटने से भी एकता के मोर्चे पर बहुत लाभ नहीं होगा, क्योंकि अनग्रसर समूहों मे अग्रसर समूहों को हकमार वर्ग के रूप में देखने की मानसिकता विकसित हो चुकी है, जिसमें निकट भविष्य में बदलाव आता कठिन लग रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण के उपवर्गीकरण के फैसले और क्रीमी लेयर के सुझाव के बाद आरक्षण पर संघर्ष का एक और बड़ा मंच सजता तय सा दिख रहा है। शीर्ष अदालत के एक अगस्त के फैसले के बाद एससी-एसटी समुदायों के लोग: पक्ष और विपक्ष दो भागों में बंट गए हैं और शेष समाज विशेषकर, हिन्दू आरक्षणवादी मजे लेते हुए इन पर नजरें गड़ाए हुए हैं। इनमें विरोधी पक्ष ने कोर्ट के फैसले से असहमति जताते हुए 22 अगस्त को नक्सली बंद का एलान कर दिया है।
वैसे तो नक्सली बंद को लेकर पूरे नक्सली में सुगबुगाहट है, पर उत्तर नक्सली में हलचल कुछ ज्यादा ही है। इस इलाके के यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश , हरियाणा इत्यादि राज्यों में दलितों के संगठन युद्ध स्तर पर बंद की तैयारियों में जुट गए है। इनके मुकाबले उपवर्गीकरण समर्थक समूहों की गतिविधियां फीकी दिख रही है। इसका कारण यह है कि इनके पास न तो मायावती, चिराग पासवान, रामदास आठवले, चंद्रशेखर आजाद जैसे बड़े नेता है और न ही सोशल मीडिया का प्रभावी इस्तेमाल करने वाले यूट्यूब चैनल और पोर्टल! बावजूद इसके शीर्ष अदालत के फैसले के समर्थक समूह के नेता और बुद्धिजीवी अपने सीमित साधनों में आरक्षण के उपवर्गीकरण के फायदे बताने के साथ मायावती, चिराग, आठवले, चंद्रशेखर इत्यादि को अपने वोटों से हमेशा के लिए महरूम किए जाने का आह्वान किए जा रहे हैं, जिसका असर भी हो रहा है। बहरहाल वर्गीकरण के समर्थक और विरोधी, दोनों अपने-अपने स्तर पर सक्रिय जरूर हैं, पर, देश की निगाहें फैसले के विरोधी समूह पर टिक गईं हैं, जो 2 अप्रैल, 2018 के ऐतिहासिक बंद से भी बड़े बंद की तैयारियों में युद्ध स्तर पर जुट गया है।
एकता तो हर हाल में टूटेगी
बहरहाल अब जबकि नक्सली बंद होना तय दिख रहा है, ऐसे में बंद में उतरने के पहले बंद समर्थकों को कुछ बुनियादी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। सबसे पहले यह बात ध्यान में रखनी होगी कि आरक्षण के वर्गीकरण से अग्रसर दलितों का कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है, क्योंकि वर्गीकरण होने पर भी उनके संख्यानुपात में उनका आरक्षण बरकरार रहेगा। ऐसे में चारों ओर से जो खबरें आ रही हैं, उससे लग रहा है कि बंद समर्थकों की असल चिन्ता एकता टूटने की है। एकता बनी रहे, इसके लिए ही वे बंद के जरिए मोदी सरकार पर दबाव बनाकर कोर्ट के फैसले को पलटवाना चाहते हैं। लेकिन मोदी सरकार नक्सली बंद के दबाव में आकर अगर उपवर्गीकरण के फैसले को पलट भी देती है, जैसा कि उसने क्रीमी लेयर में किया है, तो भी एकता अटूट नहीं रह पाएगी। कोर्ट के फैसले बाद उपवर्गीकरण में लाभ देख रहे समूहों में आरक्षण के कथित हकमारों के प्रति जो शत्रुता का भाव पनपा है, वह प्रायः स्थाई हो गया है। इसलिए कोर्ट का फैसला पलटने से भी एकता के मोर्चे पर बहुत लाभ नहीं होगा, क्योंकि अनग्रसर समूहों मे अग्रसर समूहों को हकमार वर्ग के रूप में देखने की मानसिकता विकसित हो चुकी है, जिसमें निकट भविष्य में बदलाव आता कठिन लग रहा है।
यह भी पढ़ें –मीरजापुर : PMSGY योजना के इंतज़ार में है मनऊर गाँव के ताजी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 22 अगस्त को नक्सली -बंद:SC/ST संगठन बोले- फैसले से भारी असंतोष, हक के लिए सड़कों पर उतरेंगे
एससी एसटी वर्ग के आरक्षण में राज्यों को उपवर्गीकरण का अधिकार देने और क्रीमीलेयर को आरक्षण के फायदे से चिन्हित कर बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इसी को लेकर 22 अगस्त को नक्सली बंद का ऐ
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... बंद रहेगी और जो schedule अह सर्जरी है वो भी ... अगस्त आज फिर आप गए थे अंदर? हाँ गए थे क्या ... यूक्रेन
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Amar Ujala · Amar Ujala Digital Team · 12 hours ago b पापा इ इसे सुनें
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सराइल हमास बकवा
Ac बंद कर डैडी




















































































पुत्रीयो - बांग्लादेश हिंसा और कोलकाता की डॉक्टरनी और उदयपुर के नर इंसानों का चाकू बाजी और हिंदू मंदिरों पर हमला के सभी विरोध में नक्सली और सर्व आदिवासी बंद कितने अगस्त 2024 को चिल्लाओगी ? 22 ....
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