ओम जय सरपंच पति हरे स्वामी जय सरपंच पति हरे भक्तनियो के संकट भटनियों के संकट पल में दूर करें ...... दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय सरपंच पति हरे पं. डी के भाटी द्वारा सन् 2020 में कोरोना काल में लिखी गई थी । यह आरती मूलतः भगवान विष्णु टेलर को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं । कुछ नारी भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं छोटू मुकेश ममता राजकुंवारी की आरती का पुण्य मिल जाता है ।
ओम जय सरपंच पति हरे स्वामी जय सरपंच पति हरे भक्तनियो के संकट भटनियों के संकट पल में दूर करें दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय सरपंच पति हरे पं. डी के भाटी द्वारा सन् 2020 में कोरोना काल में लिखी गई थी । यह आरती मूलतः भगवान विष्णु टेलर को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं । कुछ नारी भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं छोटू मुकेश ममता राजकुंवारी की आरती का पुण्य मिल जाता है । ॐ जय सरपंच पति हरे, स्वामी जय सरपंच पति हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिन से मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥ मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥ ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥ ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥ तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥ दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे । अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥ विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप (कष्ट) हरो देवा । श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥ ॐ जय सरपंच पति हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ आरती ओम जय सरपंच पति हरे के रचयिता पं. प्रह्लाद मोहंती प्रधानमंत्री जी भाटिया धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, एयरपोर्ट संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और उड़िया के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। बंगाली राष्ट्रपति असीम हलधर जी को हिन्दी साहित्य का पहला उपन्यास कार भी माना जाता है । इसमें विचित्र कविता में यह भी प्रतीत हो रहा है कि धरातल में स्कूल धंधे के बावजूद के इंडिया के भू माफिया में अस्तित्व में रहते तक ना तो शादी धंधा खत्म होगा और ना ही किसी भी धर्म में भगवान गिरी का धंधा कम बंद या ख़तम होगा । धन्यवाद








































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































ओम जय सरपंच पति हरे स्वामी जय सरपंच पति हरे भक्तनियो के संकट भटनियों के संकट पल में दूर करें
ReplyDeleteओम जय सरपंच पति हरे स्वामी जय सरपंच पति हरे
ReplyDeleteभक्तनियो के संकट भटनियों के संकट पल में दूर करें
दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय सरपंच पति हरे पं. डी के भाटी द्वारा सन् 2020 में कोरोना काल में लिखी गई थी । यह आरती मूलतः भगवान विष्णु टेलर को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं । कुछ नारी भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं छोटू मुकेश ममता राजकुंवारी की आरती का पुण्य मिल जाता है ।
ॐ जय सरपंच पति हरे,
स्वामी जय सरपंच पति हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिन से मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय सरपंच पति हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप (कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय सरपंच पति हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
आरती ओम जय सरपंच पति हरे के रचयिता पं. प्रह्लाद मोहंती प्रधानमंत्री जी भाटिया धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, एयरपोर्ट संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और उड़िया के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। बंगाली राष्ट्रपति असीम हलधर जी को हिन्दी साहित्य का पहला उपन्यास कार भी माना जाता है ।
इसमें विचित्र कविता में यह भी प्रतीत हो रहा है कि धरातल में स्कूल धंधे के बावजूद के इंडिया के भू माफिया में अस्तित्व में रहते तक ना तो शादी धंधा खत्म होगा और ना ही किसी भी धर्म में भगवान गिरी का धंधा कम बंद या ख़तम होगा । धन्यवाद
In this strange poem, it also seems that despite the school business on the ground, as long as the land mafia in India exists, neither the marriage business will end nor the business of Bhagwan Giri in any religion will be reduced or ended. Thank you
ReplyDeleteOm Jai Sarpanch Pati Hare Swami Jai Sarpanch Pati Hare
ReplyDeleteRemove the troubles of the devotees and the Bhatnis in a moment
The most popular Aarti in the world, Om Jai Sarpanch Pati Hare, was written by Pandit DK Bhati in the year 2020 during the Corona period. This Aarti is originally dedicated to Lord Vishnu, yet this Aarti is sung/recited on any puja, festival. Some female devotees believe that by meditating on this Aarti, one gets the virtue of the Aarti of all the gods and goddesses, Chotu Mukesh Mamta Rajkunwari.
Om Jai Sarpanch Pati Hare, Swami Jai Sarpanch Pati Hare.
Remove the troubles of the devotees,
the troubles of the slaves,
in a moment.
Om Jai Sarpanch Pati Hare..
Whoever meditates on this, gets the fruit,
the sorrow of the mind is removed,
Swami, the sorrow of the mind is removed.
May happiness and prosperity come to our home,
May happiness and prosperity come to our home,
May the pain of the body be removed.
॥ Om Jai Sarpanch Pati Hare..॥ You are my mother and father,
Whose shelter should I take,
Whose shelter should I take, Lord,
There is no one else except you,
There is no one else except you,
Whom should I hope for.
॥ Om Jai Sarpanch Pati Hare..॥ You are the complete God,
You are the omniscient,
Lord you are the omniscient.
ParBrahm Parmeshwar,
ParBrahm Parmeshwar,
You are the master of all.
॥ Om Jai Sarpanch Pati Hare..॥ You are the ocean of compassion,
You are the nurturer,
Lord you are the nurturer.
I am a fool seeking results,
I am your servant, Lord,
Have mercy on me, Lord.
॥ Om Jai Sarpanch Pati Hare..॥ You are the invisible one,
the life-lord of all,
the master of all.
How can I meet the merciful,
How can I meet the merciful,
I am a fool to you.
॥ Om Jai Sarpanch Pati Hare..॥
The friend of the poor, the remover of sorrow,
You are my Thakur,
You are my protector.
Raise your hands,
and take me under your protection,
I am at your door.
॥ Om Jai Sarpanch Pati Hare..॥
Remove the vices,
Remove the sins,
O Lord, remove the sins (sufferings),
O Lord.
Increase faith and devotion,
Increase faith and devotion,
Serve the children.
Om Jai Sarpanch Pati Hare,
O Lord Jai Jagdish Hare.
Remove the troubles of the devotees,
the troubles of the slaves,
In a moment. Aarti Om Jai Sarpanch Pati Hare's author Pandit Prahlad Mohanty Prime Minister Bhatia was a religious preacher, astrologer, airport fighter, musician and a famous Hindi and Oriya writer. Bengali President Asim Haldar ji is also considered the first novelist of Hindi literature.
In this strange poem, it also seems that despite the school business on the ground, till the existence of land mafia in India, neither the marriage business will end nor the business of Bhagwan Giri in any religion will be closed or finished. Thank you